Antarctica (अंटार्कटिका)

अंटार्कटिका ( अन्टार्टिका) पृथ्वी का दक्षिणतम महाद्वीप है, जिसमें दक्षिणी ध्रुव अंतर्निहित है। यह दक्षिणी गोलार्द्ध के अंटार्कटिक क्षेत्र और लगभग पूरी तरह से अंटार्कटिक वृत के दक्षिण में स्थित है। यह चारों ओर से दक्षिणी महासागर से घिरा हुआ है।

अपने 140 लाख वर्ग किलोमीटर (54 लाख वर्ग मील) क्षेत्रफल के साथ यह, एशियाअफ्रीकाउत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका के बाद, पृथ्वी का पांचवां सबसे बड़ा महाद्वीप है। अंटार्कटिका का 98% भाग औसतन 1.6 किलोमीटर मोटी बर्फ से आच्छादित है।

औसत रूप से अंटार्कटिका, विश्व का सबसे ठंडा, शुष्क और तेज हवाओं वाला महाद्वीप है और सभी महाद्वीपों की तुलना में इसका औसत उन्नयन सर्वाधिक है। अंटार्कटिका को एक रेगिस्तान माना जाता है, क्योंकि यहाँ का वार्षिक वर्षण केवल 200 मिमी (8 इंच) है और उसमे भी ज्यादातर तटीय क्षेत्रों में ही होता है। यहाँ का कोई स्थायी निवासी नहीं है लेकिन साल भर लगभग 1,000 से 5,000 लोग विभिन्न अनुसंधान केन्द्रों जो कि पूरे महाद्वीप पर फैले हैं, पर उपस्थित रहते हैं। यहाँ सिर्फ शीतानुकूलित पौधे और जीव ही जीवित रह सकते हैं। जिनमें पेंगुइन, सील, निमेटोड, टार्डीग्रेड, पिस्सू, विभिन्न प्रकार के शैवाल और सूक्ष्मजीव के अलावा टुंड्रा वनस्पति भी शामिल हैं।

हालांकि पूरे यूरोप में टेरा ऑस्ट्रेलिस (दक्षिणी भूमि) के बारे में विभिन्न मिथक और अटकलें सदियों से प्रचलित थे पर इस भूमि से पूरे विश्व का 1820 में परिचय कराने का श्रेय रूसी अभियान कर्ता मिखाइल पेट्रोविच लाज़ारेव और फैबियन गॉटलिएब वॉन बेलिंगशौसेन को जाता है। यह महाद्वीप अपनी विषम जलवायु परिस्थितियों, संसाधनों की कमी और मुख्य भूमियों से अलगाव के चलते 19 वीं शताब्दी में कमोबेश उपेक्षित रहा। महाद्वीप के लिए अंटार्कटिका नाम का पहले पहल औपचारिक प्रयोग 1890 में स्कॉटिश नक्शानवीस जॉन जॉर्ज बार्थोलोम्यू ने किया था। अंटार्कटिका नाम यूनानी यौगिक शब्द ανταρκτική एंटार्कटिके से आता है जो ανταρκτικός एंटार्कटिकोस का स्त्रीलिंग रूप है और जिसका अर्थ “उत्तर का विपरीत” है।

1959 में बारह देशों ने अंटार्कटिक संधि पर हस्ताक्षर किए, आज तक छियालीस देशों ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए हैं। संधि महाद्वीप पर सैन्य और खनिज खनन गतिविधियों को प्रतिबन्धित करने के साथ वैज्ञानिक अनुसंधान का समर्थन करती है और इस महाद्वीप के पारिस्थितिक क्षेत्र को बचाने के लिए प्रतिबद्ध है। विभिन्न अनुसंधान उद्देश्यों के साथ वर्तमान में कई देशों के लगभग 4,000 से अधिक वैज्ञानिक विभिन्न प्रयोग कर रहे हैं।

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