Mineral खनिज:-
खनिज प्राकृतिक रूप से अपनी एक विशिष्ट भौतिक एवं रासायनिक संरचना में पाए जाते हैं। जिन खनिजों में से वाणिज्यिक रूप से उपयोगी तरीके से धातु या अधातु निकाली जा सकती है उन्हें अयस्क कहते हैं। सभी खनिज अयस्क नहीं होते परंतु सभी अयस्क खनिज होते हैं।
Minerals In India भारत में खनिज :-
भारत एक खनिज संपन्न देश है। भारत में खनिज मुख्य रूप से प्रायद्वीपीय पठारी प्रदेश में पाए जाते हैं जो गोंडवाना लैंड का हिस्सा था ।प्रायद्वीपीय भारत के दोनों और अवसादी चट्टाने पाई जाती हैं जहां जीवाश्म ईंधन जैसे- कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदी पाए जाते हैं। राजस्थान में अरावली पर्वत की उपस्थिति के कारण खनिज पाए जाते हैं। राजस्थान में मुख्य रूप से अलौह खनिज पाए जाते हैं ।हिमालय पर्वतीय क्षेत्र में भी खनिज पाए जाते हैं परंतु मैदानी प्रदेश में खनिजों का अभाव है। झारखंड भारत का सबसे अधिक खनिज संपन्न राज्य हैं। राजस्थान में विभिन्न प्रकार के खनिज पाए जाते हैं अतः राजस्थान को ‘ खनिजों का अजायबघर’ कहा जाता है।
Types Of Minerals खनिजों के प्रकार
1. धात्विक खनिज :-
(क) लोहयुक्त खनिज-जिन धात्विक खनिजों में लौह अंश पाया जाता है, वे लौहयुक्त धात्विक खनिज कहलातेलौह-अयस्क, मैंगनीज, टंग्स्टेन, निकिल आदि लौहयुक्त धात्विक खनिजों के प्रमुख उदाहरण हैं।
(ख) अलौहयुक्त खनिज-जिन धात्विक खनिजों में लौहअंश नहीं पाया जाता, उन्हें अलौहयुक्त धात्विक खनिज कहते सोना, चाँदी, ताँबा, सीसा, बॉक्साइट, टिन, मैगनीशियम आदि अलौहयुक्त खनिजों के प्रमुख उदाहरण हैं।
लौह अयस्क:-
लोह अयस्क सभी उद्योगों का आधारभूत खनिज है भारत में उच्च गुणवत्ता के लौह अयस्क के भंडार पाए जाते हैं भारत में लौह अयस्क की कुडप्प धारवाड़ कर्नाटक कर्म के चट्टानों में पाया जाता है
लोहे की मात्रा के आधार पर निम्नलिखित प्रकार के लौह अयस्क पाए जाते हैं:-
मैग्नेटाइट:-
इस अयस्क में लौह अंश की मात्रा 70% या उससे अधिक होती है। इसमें अशुद्धियों की मात्रा बहुत कम पाई जाती है। यह काले रंग का होता है। इस लौह अयस्क में चुंबकीय गुण पाए जाते हैं ।भारत के कुल लौह अयस्क के भंडार का 25% मैग्नेटाइट है। मैग्नेटाइट मुख्य रूप से दक्षिण भारत के 5 राज्यों, गोवा व राजस्थान में पाया जाता है। जैसे कर्नाटक – कुद्रेमुख ,केरल – कोझी कोड ,तमिलनाडु – सालेम ,आंध्र प्रदेश -कडप्पा, नेल्लौर। तेलगाना – करीमनगर, निजामाबाद। राजस्थान में जयपुर । गोवा
भंडार की दृष्टि से सर्वाधिक मैग्नेटाइट निम्नलिखित राज्यों में है –
1- कर्नाटक
2- आंध्र प्रदेश
3- राजस्थान
4-तमिलनाडु
5- गोवा
हेमेटाइट:-
इस अयस्क में लौह अंश की मात्रा लगभग 60% होती है। इसमें अशुद्धियों के रूप में असली का चुनाव तथा ऑक्साइड पाए जाते हैं यह लाल रंग का लौह अयस्क है भारत में कुल लौह अयस्क के भंडार का लगभग 75% हेमेटाइट है।
हेमेटाइट मुख्य रूप से निम्नलिखित राज्य में पाया जाता है ।
1-उड़ीसा- (1) मयूरभंज -क- गुरुमहिशनी,ख-बादामपहाड़,ग-सुलेपट
(2) सुंदरगढ़ (क)बोनाई पहाड़ियां
(3) क्योंझर (क)बाराबिल कोइरा घाटी
निम्नलिखित राज्यों में हेमेटाइट के सर्वाधिक भंडार पाए जाते हैं :-
1.उड़ीसा
2. झारखंड
3.छत्तीसगढ़
4.कर्नाटक
5.गोवा
लिमोनाइट:-
इस अयस्क में लोहा अंश की मात्रा 40 से 50% पाई जाती है। इसमें अन्य अशुद्धियों के साथ जल भी पाया जाता है ।इसे जलयोजन लौह अयस्क कहते हैं ।यह पीले रंग का अयस्क है। यह मुख्य रूप से निम्नलिखित राज्य में पाया जाता है :-जैसे:- हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा घाटी ,उत्तराखंड ,उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर ,पश्चिम बंगाल में रानीगंज।
सीडेराइट:-
इस अयस्क में लौह अंश की मात्रा 40% से कम होती है। इसमें अन्य अशुद्धियों के साथ कार्बन भी पाया जाता है। यह भूरे रंग का अयस्क है। इसे लोहे कार्बोनेट भी कहते हैं। यह मुख्य रूप से उत्तर भारत में पाया जाता है। जैसे हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड ,उत्तर प्रदेश।
भारत में लौह अयस्क की पेटियां:-
उड़ीसा में झारखंड पेटी, दुर्ग बस्तर चंद्रपुर पेटी, गोवा में गोवा महाराष्ट्र पेटी, बेल्लारी चित्रदुर्ग और चिकमंगलूर पेटी
लौह अयस्क के उपयोग:-
इसका उपयोग इस्पात उद्योग में किया जाता है औद्योगिक उपकरण तथा भारी मशीनें लोहे की बनी होती है विद्युत उपकरणों में चुंबकीय गुण के कारण लौह अयस्क का उपयोग होता है।
मैंगनीज:-
भारत में मैग्नीज गोंडाइट तथा कोडराइट क्रम की चट्टानों में पाया जाता है ।लेकिन इसकी प्रमुख अयस्क निम्नलिखित हैं ।सिलोमेलीन, क्रिप्टोमेंलीन ,पायरोलूसाइट ,ब्रोनाइट,आन्ध्रप्रदेश- शिमोगा(श्रीकाकुलम)।
मैग्नीज के सर्वाधिक भंडार निम्नलिखित राज्यों में है :-उड़ीसा ,कर्नाटक ,मध्य प्रदेश ,महाराष्ट्र, गोवा ,आंध्र प्रदेश।
मैगनीज के उपयोग:-
इस्पात उद्योग में( 1 टन इस्पात बनाने के लिए लगभग 10 केजी मैगनीज की आवश्यकता होती है)।रासायनिक उद्योगों में ,ब्लीचिंग पाउडर( विरंजक चूर्ण ),रंग रोगन में।
क्रोमाइट:-
मुख्य रूप से क्रोमाइट के 98% भंडार उड़ीसा में जाजपुर जिले में पाए जाते हैं ।क्रोमाइट का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक उद्योग में किया जाता है।
अलौहयुक्त खनिज:-
बॉक्साइट:-
बॉक्साइट भंडार निम्नलिखित राज्य में पाए जाते हैं:- ओडिशा – कालाहांडी ,कोरापुट- पंचपटमाली भंडार, सुंदरगढ़, बोलांगीर ,संबलपुर ,।झारखंड – बस्तर ,बिलासपुर, सरगुजा।
सीसा-जस्ता:-
सीसा जस्ता भंडार निम्न राज्यों में है राजस्थान उदयपुर जावर देबारी चित्तौड़गढ़ चंदेरिया भीलवाड़ा रामपुरा आगूचा गुजरात बनासकांठा पश्चिम बंगाल दार्जिलिंग आंध्र प्रदेश विशाखापट्टनम झारखंड धनबाद चंदू सिक्किम रंगपो शीशा विद्युत का कुचालक है तथा इसका उपयोग लोहा इस्पात उद्योग में होता है जस्ते का उपयोग संग्रहित लोहा बनाने पेंट बैटरी मोटर के स्पेयर पार्ट्स का दवा के निर्माण में किया जाता है राजस्थान सीसा जस्ता उत्पादन में अग्रणी राज्य है जावर में व्यापारी खान का प्रशासन हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड उदयपुर द्वारा किया जाता है।
टिन:-
इसका उपयोग टांका उद्योग दिन की चद्दर मिश्रित धातु डिब्बे आदि के निर्माण में किया जाता है भारत में इसके सीमित भंडार हैं छत्तीसगढ़ का बस्तर जिला भारत का मुख्य टिन उत्पादक प्रदेश है।
टंगस्टन:-
यह कठोर दुर्लभ धातु है इसका गलनांक सर्वाधिक है इसका उपयोग बल्ब फिलामेंट एक्स रेड ट्यूब रेडिएशन वेल्डिंग सैन्य उपकरणों कठोरता के कारण भारी मिश्रित धातु प्राप्त करने तथा रॉकेट नोजल शादी में किया जाता है यह डेगाना राजस्थान में मिलता है।
निकल:-
इसमें फेरोमैग्नेटिक गुण पाया जाता है उपयोग जंग रही थी इस बात के निर्माण में यह उड़ीसा के जाजपुर जिले की सुकिंदा घाटी में पाया जाता है।
बहुमूल्य धातु खनिज
सोना:-
कर्नाटक मैसूर कोलार खान रायचूर ए टी आंध्र प्रदेश अनंतपुर रामगिरि चित्तूर कुरनूल प्ले संक्षेप सोने तथा स्वर्णरेखा नदी बेसिन में।
चाँदी:-
राजस्थान उदयपुर जावर झारखंड तंदू आंध्र प्रदेश में कुंडप्पा गुंटुर कुरनूल कर्नाटक कोलार रायचूर चित्रदुर्ग।
2.अलौह धात्विक खनिज:- चूना पत्थर, डोलोमाइट, अभ्रक, जिप्सम
अधात्विक खनिज भी दो प्रकार के होते हैं, जिन्हें क्रमश: कार्बनिक तथा अकार्बनिक खनिज कहते हैं।
(क) कार्बनिक खनिजों में जीवाश्म होते हैं, जैसे- जीवाश्म ईंधन, जिन्हें खनिज ईंधन के नाम से जानते हैं या वे में दबे प्राणी एवं पादप जीवों से प्राप्त होते हैं, जैसे- कोयला, पेट्रोलियम आदि ।
ख) अकार्बनिक खनिजों में जीवाश्म नहीं होते। चूना पत्थर, अभ्रक, तथा ग्रेफाइट इसके उदाहरण हैं।
अभ्रक:-
अब रखो पतली परतों में चीरा जा सकता है अच्छी परावैद्युत क्षमता कम शक्ति हाथ कारक कुचालक गुण तथा वोल्टता के लिए उच्च प्रतिरोध आदि गुणों के कारण अभ्रक का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों में किया जाता है यह निम्न राज्य में पाया जाता है जैसे झारखंड कोडरमा आंध्र प्रदेश नेल्लौर पेटी राजस्थान भीलवाड़ा तमिलनाडु कोयंबटूर बिहार मुंगेर।
जिप्सम:-
यह पूरा को सीमेंट तहसील पर आदि के उत्पादन में उपयोगी है यह मिट्टी की लवणी तथता सायता कम करता है इसका निर्माण अवसादी चट्टानों में होता है राजस्थान इसका सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है राजस्थान में बीकानेर जामसर तमिलनाडु में कोयंबटूर चूची के गाल पर जम्मू कश्मीर में डोडा जिला।
चूना पत्थर:-
चुना पत्थर सीमेंट उद्योग के लिए आधारभूत कच्चा माल है भर्तियों में लोहे को गलाने के लिए आवश्यक है इसके सर्वाधिक भंडार आंध्र प्रदेश को डप्पा गुटूर वारंगल में है शेष भंडार राजस्थान गुजरात मध्य प्रदेश उड़ीसा कर्नाटक छत्तीसगढ़ में तमिलनाडु में है।
संगमरमर:-
मध्य प्रदेश जबलपुर बैतूल राजस्थान नागौर मकराना आंध्र प्रदेश विशाखापट्टनम
एस्बेसटस:-
यह उच्च उच्च मारो द खनिज है जिसका उपयोग कपड़े बुनने अग्नि रोधक उत्पादों तथा कुचालक धातु और सीमेंट के साथ मिश्रित करके में किया जाता है राजस्थान इसका सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है यह कर्नाटक तथा अन्य राज्यों में भी पाया जाता है ।
हीरा:-
मध्य प्रदेश पन्ना आंध्र प्रदेश गोलकुंडा बकलोल कर्नाटक रायचूर।
ऊर्जा खनिज:-
जीवाश्म:-
जीवाश्म एक ऐसा उपादान है जो मरे हुए जीवों के शवों से बनता है। यह शवों की अवशेषों का अंश होता है जो समय के साथ पेट्री रेखा और पत्थरों के अंदर ठिकाने लेता है। जीवाश्म का अध्ययन विभिन्न विज्ञानी और इतिहासकारों के लिए महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इससे हमें प्राचीन समय की जीवन और परिस्थितियों का अध्ययन करने का अवसर मिलता है। इसका अध्ययन भूगर्भिक और इतिहासी विज्ञानों के क्षेत्र में किया जाता है।
कोयला:-
भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं का लगभग 60% भाग कोयले द्वारा प्राप्त होता है। भारत में मुख्य रूप से बिट्यूमिनस कोयला पाया जाता है ।यह कोयला मुख्य रूप से गोडवाना क्रम की चट्टानों में पाया जाता है अतः इसे गोंडवाना कोयला कहते हैं। भारत में कोयला मुख्य रूप से नदी घाटी क्षेत्र में पाया जाता है। उच्च गुणवत्ता की कोयले के भंडार दामोदर नदी घाटी क्षेत्र में पाए जाते हैं अतः इसे भारत की रुर घाटी कहते हैं। महानदी, गोदावरी ,सोन तथा वर्धा नदी घाटी क्षेत्र में भी कोयला पाया जाता है।
बिटुमिनस कोयला क्षेत्र:-
झारखंड -धनबाद(जिला)-(खान)झरिया। हजारीबाग -बोकारो, गिर्दी ,करणपुर। पलामू -दलतेनगंज ,औरंगा, हुतर।
पश्चिम बंगाल -बर्धमान- रानीगंज ।महाराष्ट्र -वृद्धा घाटी ।
ओडिशा -तालचर ।छत्तीसगढ़- कोरबा, कोरिया -चिरिमीरी। सरगुजा- झिलिमिली,बिसरामराम, पंचबहिनी।
मध्यप्रदेश – सिंगरौली, सुहागपुर ।तेलगाना- सिंगरेनी।
लिग्नाइट:-
राजस्थान-बीकानेर -पलाना,
जम्मू एंड कश्मीर -उधमपुर ,बारामुला, रियासी ,।
गुजरात -उसरसर,
तमिलनाडु -नीवेली ,
मेघालय – मेघालय पठार।
- लिग्नाइट के भंडार निम्न राज्य में सर्वाधिक पाए जाते हैं जैसे तमिलनाडु राजस्थान गुजरात पुदुचेरी जम्मू एंड कश्मीर
- विटामिंस के भंडार सर्वाधिक भंडार झारखंड उड़ीसा छत्तीसगढ़ पश्चिम बंगाल मध्य प्रदेश
- विश्व में भंडार की दृष्टि से भारत पांचवें स्थान पर है पहले स्थान पर यूएसए दूसरे स्थान पर चीन तीसरे स्थान पर रूस चौथे स्थान पर ऑस्ट्रेलिया।
- उत्पादन की दृष्टि से भारत विश्व में तीसरे स्थान पर है प्रथम पांच उत्पादक देश है चीन अमेरिका भारत-ऑस्ट्रेलिया रूस इंडोनेशिया
पेट्रोलियम:-
पेट्रोलियम के भंडार तटीय तथा अपतटीय क्षेत्रों में मिलते हैं।
तटीय भंडार:-
राजस्थान:- बीकानेर- नागौर- चुरु बेसिन,जैसलमेर बेसिन,बाड़मेर -सांचौर बेसिन।
गुजरात- अंकलेश्वर ,मेहसाना, लुनेज ,कालोल, कौस्मबी।
असम- डिगबोई नहरकटिया नुमालीगढ़ सुरमा घाटी मोरान हुगृजन
अपतटीय भंडार :-
गुजरात – आलियाबेट, महाराष्ट्र- मुंबई हाई, बशीन, कावेरी बेसिन, कृष्णा गोदावरी बेसिन, आंध्रा- रवा ।कच्चे तेल के टटिया भंडार अपतटीय भंडार से अधिक है ।जबकि उत्पादन अपतटीय क्षेत्रों में अधिक होता है।
पेट्रोलियम के उपयोग :-
पेट्रोलियम का उपयोग ईधन के रूप में किया जाता है तथा शोधनशालाओ से प्राप्त होने वाले उत्पादों का उपयोग पेट्रोकेमिकल उद्योग रासायनिक उद्योग में किया जाता है। तेल का उपयोग स्नेहक के रूप में किया जाता है । पैट्रोलियम जेली का उपयोग सौंदर्य प्रसाधनों में किया जाता है। जैसे वेसलीन पैट्रोलियम जेली।
भारत शोधनशालाओ की दृष्टि से एशिया में दूसरे स्थान पर है विश्व में भारत का स्थान चौथा है।
प्राकृतिक गैस:-
- प्राकृतिक गैस के अपतटीय भंडार अधिक है।
- प्राकृतिक गैस का उत्पादन भी अपतटीय क्षेत्रों में अधिक होता है।
- खम्भात की खाड़ी, मुंबई हाई, के जी बेसिन, अण्डमान निकोबार द्वीप समूह,राजस्थान तथा असम मेघालय क्षेत्र में इसके भण्डार है।
- उपयोग:- ईंधन के रूप में, वाहनों में cng के रूप में,उर्वरक उधोग में।
परमाणु खनिज:-
परमाणु खनिज वे खनिज होते हैं जिनमें परमाणु धातु या परमाणु तत्वों की मौजूदगी होती है। ये खनिज अणुशास्त्र और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण होते हैं। परमाणु खनिजों में विभिन्न प्रकार के अणु धातु और तत्व जैसे कि यूरेनियम, थोरियम, प्लुटोनियम आदि होते हैं। ये खनिज अक्सर अणुशास्त्रीय शोध और परमाणु ऊर्जा के उत्पादन के लिए उपयोग किए जाते हैं। इन्हें उत्पादित करने और उपयोग करने में विशेष सावधानी और नियमों का पालन किया जाता है क्योंकि ये खनिज बहुत ही प्रभावी और संवेदनशील होते हैं।
यूरेनियम:-
- झारखंड= सिंहभुम-जादूगुढा,नरवापहाड़,भातिन,तुरामण्डी।
- आंध्र प्रदेश = नेल्लौर-शंकरा खान,कुडप्पा-तुम्मलापल्ली।
- राजस्थान =उदयपुर
- मेघालय=दोमियासियात
थोरियम:-
भारत में थोरियम के बड़े भंडार पाए जाते हैं ।यह मुख्य रूप से मोनाजाइट तथा इल्मेनाइट तटवर्ती मृदा में पाए जाते हैं। जैसे केरल -पलक्कड़ ,कोल्लम,। आंध्र प्रदेश – विशाखापट्टनम,। उड़ीसा- महानदी डेल्टा क्षेत्र ।तमिलनाडु -कावेरी डेल्टा क्षेत्र ।
भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्र :-
तारापुर -महाराष्ट्र, रावतभाटा -राजस्थान ,कलपक्कम -तमिलनाडु, नरोरा -उत्तर प्रदेश, काकरापारा- गुजरात , कैगा -कर्नाटक ,कुडनकुलम -तमिलनाडु।