Africa (अफ्रीका : भौतिक भूगोल)

यह महाद्वीप क्षेत्रफल की दृष्टि से तथा जनसंख्या की दृष्टि से दूसरे स्थान पर है। इस महाद्वीप से कर्क रेखा, मकर रेखा तथा विषुवत रेखा गुजरती है। इस महाद्वीप का अधिकतम भाग उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में स्थित है अतः इसे गर्म महाद्वीप कहते हैं ।यह महाद्वीप सभी चार गोलार्ध में स्थित है। मानव जीवन का विकास सर्वप्रथम इसी महाद्वीप में हुआ था अतः इसे मानव जाति का पालना कहा जाता है। यह एक पठारी महाद्वीप है अतः इस महाद्वीप की नदियां पठारी क्षेत्र से गिरते समय जलप्रपात का निर्माण करती है अतः इस महाद्वीप से सर्वाधिक जल विद्युत उत्पादन क्षमता पाई जाती है। यह महाद्वीप विकास की दृष्टि से पिछड़ा हुआ है अतः इसे अंध महाद्वीप भी कहते हैं। किस महाद्वीप में लगभग 55 देश हैं परंतु यूएन ने केवल संदेशों को ही मान्यता प्रदान की है कर्क रेखा निम्नलिखित दृश

अफ्रीका महाद्वीप में विषुवत रेखा :-

गैबोन, कांगो, कांगो प्रजातांत्रिक गणराज्य ,युगांडा ,केन्या और सोमालिया।

अफ्रीका महाद्वीप में कर्क रेखा :-

पश्चिमी सहारा ,माॅरिटानिया, माली ,अल्जीरिया ,लीबिया ,मिस्र

अफ्रीका महाद्वीप मकर रेखा निम्नलिखित देशों से गुजरती है :-

नामीबिया, बोत्सवाना ,दक्षिण अफ्रीका ,मोजांबिक ,मेडागास्कर।

अफ्रीका महाद्वीप में पर्वत :-

1. एटलस पर्वत:-

यह नवीन वलित पर्वत है ,इसका निर्माण यूरेशियन तथा अफ्रीकन प्लेट के अभिसरण से हुआ है। यह पर्वत मोरक्को, अल्जीरिया तथा ट्यूनीशिया में स्थित है। इसकी सबसे ऊंची चोटी टोब्कल है। यह पर्वत अटलांटिक महासागर तथा भूमध्य महासागरीय तट रेखा को सहारा मरुस्थल से अलग करते हैं। इस पर्वतीय क्षेत्र में धात्विक खनिज पाए जाते हैं ।जैसे लोहा अयस्क, तांबा ,सीसा, जस्ता ,चांदी ,सोना आदि।

2. लोमा पर्वत:-

यह पर्वत गिनी उच्च भूमि का भाग है।यह पर्वत मुख्यतः सिएरा लियोन तथा गिनी में स्थित है। इस पर्वत की सबसे ऊंची चोटी बिनतुमानी है ।पश्चिमी अफ्रीका की प्रमुख नदियों का उद्गम इस पर्वत से होता है जैसे नाइजर नदी। लोमा पर्वत आखेट निषेध क्षेत्र है।

3. ड्रेकन्सबर्ग पर्वत:-

यह दक्षिण अफ्रीका तथा लेसोथो के पूर्वी भाग में स्थित है यह दक्षिण अफ्रीका के पठार की औरतें कंगार का पूरी भाग है इस पर्वत की सबसे ऊंची चोटी लेलियाना है इस पर्वतीय क्षेत्र से ऑरेंज नदी का उद्गम होता है।

पूर्वी अफ्रीकी पर्वत

1. किलिमंजारो:-

यह तंजानिया में स्थित ज्वालामुखी पर्वत है। यह अफ्रिका का सबसे ऊंचा पर्वत है ।इस पर्वतीय क्षेत्र में तीन ज्वालामुखी शंकु सम्मिलित हैं जैसे किंबो ,मावनजी, शीरा। कीबो सुषुप्त ज्वालामुखी है तथा मावेनजी तथा शीरा मृत ज्वालामुखी है। कीबो किलिमंजारो पर्वतीय क्षेत्र में सबसे ऊंचा है तथा इसकी सबसे ऊंची चोटी उहुरु है।

2. केन्या पर्वत:-

यह ज्वालामुखी पर्वत अफ्रीका का दूसरा सबसे ऊंचा पर्वत है ।इस पर्वत की सबसे ऊंची चोटी बातीआन है ।यह पर्वत विश्वत रेखा क्षेत्र में स्थित है। अतः यहां गहन वनस्पति एवं जैव विविधता पाई जाती है ।यहां केनिया राष्ट्रीय उद्यान स्थित है जो यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में सम्मिलित है।

3. रुवेंजोरी पर्वत:-

यह पर्वत कांगो प्रजातांत्रिक गणराज्य तथा युगांडा में स्थित है ।यह अफ्रीका का तीसरा सबसे ऊंचा पर्वत है इस श्रेणी में 6 प्रमुख पर्वत सम्मिलित हैं। इन्हें चंद्रमा के पर्वत भी कहते हैं। माउंट स्टेनली में रूवेनझोरी पर्वत की सबसे ऊंची चोटी मार्गरेंटा स्थित है ।यहां रूवेनझोरी तथा विरूंगा राष्ट्रीय उद्यान स्थित है। तांबे तथा कोबाल्ट के भंडार पाए जाते हैं ।इन्हें अफ्रीका के आल्पस पर्वत भी कहते हैं।

अफ्रीका के पठार

1. गिनी उच्च भूमि:-

यह गिनी तथा निकटी निकटवर्ती देशों में स्थित उच्च भूमि है ।फोउटा जालौन पठार तथा लोमा पर्वत इसी का भाग है ।इस उच्च भूमि से पश्चिम अफ्रीका की बहुत सी नदियों का उद्गम होता है जैसे नाइजर नदी।

2. फाउटा जालौन पठार:

– मुख्यतः गिनी में स्थित है ।यह पठार बहुत सी नदियों का प्रमुख जल स्रोत है जिसके कारण इसे पश्चिमी अफ्रीका जल स्थल तथा स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है। यह पठार पश्चिमी अफ्रीका में जल विभाजक का कार्य भी करता है। यहां लौह अयस्क, हीरे आदि खनिजों के भंडार पाए जाते हैं।

3. कतांगा पठार:-

यह कांगो प्रजातांत्रिक गणराज्य तथा जांबिया में स्थित है ।यहां तांबे तथा कोबाल्ट के भंडार पाए जाते हैं ।इस प्रकार से लुआलावा नदी का उद्गम होता है जो अन्य धाराओं के साथ मिलकर कांगो नदी का निर्माण करती है।

4. बी का पठार:-

अंगोला देश में स्थित है। इस पठार पर बॉक्साइट के भंडार पाए जाते हैं ।इस पठार से बहुत सी नदियों का उद्गम होता है। जैसे जांबे जी।

5. वृहत कारू पठार:-

यह पठार दक्षिण अफ्रीका में स्थित है इस प्रकार पर लावा की परत पाई जाती है यहां बहुत से प्रमुख खनिज पाए जाते हैं जैसे सोना हीरा प्लेटिनम कोयला इत्यादि।

6. पूर्वी अफ्रीकी पठार:-

यह अफ्रीका का सबसे बड़ा पठार है। यह पठार विषुवत रेखा क्षेत्र में स्थित है अतः यहां वर्षा वन एवं जैव विविधता पाई जाती है। इस प्रकार पर अफ्रीका का सबसे ऊंचा पर्वत किलिमंजारो स्थित है ।यहां अन्य कई ज्वालामुखी चोटियाँ पाई जाती हैं। इस पठर पर अफ्रीका की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील विक्टोरिया झील स्थित है ।केन्या में इस पठार का उपयोग रोपण कृषि के लिए किया जाता है। मुख्यः चाय ।यहां मसाई जनजाति निवास करती है।

7. इथोपियन उच्च भूमि:-

इस पठारी क्षेत्र में गरम तथा शुष्क परिस्थितियां पाई जाती हैं ।इस प्रकार पर बहुत सी लवणीय झीले पाई जाती हैं ।जैसे जिबूती में स्थिति असल झील। यहां मीठे पानी की ताना झील भी स्थित है ।ताना झील से ब्लू नील नदी का उद्गम होता है।

8.

अफ्रीका की प्रमुख झीलें

1. विक्टोरिया झील:-

यह झील के केन्या, युगांडा तथा तंजानिया के सीमा क्षेत्र पर स्थित है ।यह अफ्रीका की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील है। यह विश्व की दूसरी सबसे बड़ी मीठे पानी की झील है। इस झील से विश्वत रेखा गुजरती है ।यह झील भ्रंश घाटी में स्थित नहीं है ।इस झील से श्वेत नील नदी का उद्गम होता है।

2. टैंगनाइका झील:-

यह झील मुख्यतः डीआरसी तथा तंजानिया के बीच स्थित है। यह भ्रंश घाटी में स्थित है ।यह विश्व की सबसे लंबी झील है तथा यह विश्व की दूसरी सबसे गहरी झील है।

3. चाद झील:-

यह झील नाइजीरिया ,नाइजर, चाद तथा कैमरून देशों को सीमा क्षेत्र पर स्थित है ।यह मीठे पानी की झील है जो निरंतर बढ़ती जा रही है। इस झील का अस्तित्व खतरे में है। इस झील में चारी नदी गिरती है अतः इसमें अंतः स्थलीय अपवाह तंत्र पाया जाता है।

अफ्रीका की प्रमुख नदियां

1. वोल्टा नदी:-

इस नदी का उद्गम पश्चिमी उच्च प्रदेश से होता है तथा यह गिनी की खाड़ी में गिरती है ।यह घाना की प्रमुख नदी है। इस नदी पर अकोसॉम्बो बांध स्थित है जिससे वोल्टा झील का निर्माण होता है। क्षेत्रफल की दृष्टि से वोल्टा झील विश्व की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील है।

2. नाइजर नदी:

इस नदी का उद्गम लोमा पर्वत से होता है तथा यह गिनी की खाड़ी में गिरती है ।नाइजीरिया में इस नदी के डेल्टा क्षेत्र में पेट्रोलियम पाया जाता है ।यह पश्चिमी अफ्रीका की सबसे लंबी एवं प्रमुख नदी है ।माली का प्रमुख शहर टिंबकटू इस नदी के किनारे स्थित है ।इस नदी को घुमाओ वाली और मोड वाली नदी भी कहते हैं।

3. कांगो नदी:-

विभिन्न धाराओं के मिलने से कांगो नदी का उद्गम होता है तथा यह अटलांटिक महासागर में गिरती है। यह विश्व की सबसे गहरी नदी है तथा दूसरी सबसे बड़ी नदी है। इस नदी में विश्व की सर्वाधिक जल विद्युत उत्पादन क्षमता पाई जाती है ।इस नदी पर ग्रेट इंगा परियोजना का निर्माण किया जा रहा है जो कि विश्व की सबसे बड़ी एच इ पी परियोजना होगी ।(40000 मेगा वाट) इस नदी को दो बार विश्वत रेखा काटती है। इस नदी को जायर नदी भी कहते हैं ।इस नदी के बेसिन क्षेत्र में पिग्मी जनजाति निवास करती है।

4. जांबेजी नदी:-

इस नदी का उद्गम बी के पठार से होता है तथा यह मोजांबिक चैनल में गिरती है। यह नदी जांबिया तथा जिंबाब्वे के बीच सीमा बनाती है। इस नदी पर करीबा बांध स्थित है जिससे करीबा झील का निर्माण होता है ।आयतन की दृष्टि से करीबा झील विश्व की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील है ।इस नदी पर विक्टोरिया जलप्रपात स्थित है जो विश्व का सबसे चौड़ा जलप्रपात है।

5. ऑरेंज नदी:-

यह नदी ड्रेकन्सबर्ग पर पर्वत से निकलती है तथा यह अटलांटिक महासागर में गिरती है। यह दक्षिण अफ्रीका की सबसे प्रमुख नदी है ।यह नदी नामीबिया तथा दक्षिण अफ्रीका के मध्य सीमा बनाती है ।इसकी प्रमुख सहायक नदी वाॅल है

6.लिम्पोपो नदी:-

यह नदी मकर रेखा को दो बार काटती है। यह दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना तथा जिंबाब्वे के बीच सीमा क्षेत्र पर बहती है।

7. नील नदी:-

इस नदी का उद्गम सूडान की राजधानी खार्तूम से होता है जहां श्वेत नील तथा ब्लू नील नदी मिलती है ।इस नदी के बेसिन का उपयोग चावल एवं कपास की खेती के लिए किया जाता है। यह विश्व की सबसे लंबी नदी है ।मिश्र अपनी जलापूर्ति के लिए पूर्ण रूप से नील नदी पर निर्भर करता है ।अतः मिस्र को नील नदी का उपहार कहा जाता है ।मिस्र में इस नदी पर आस्वान बांध स्थित है। यह नदी डेल्टा बनाते हुए भूमध्य सागर में गिरती है। इस नदी के डेल्टा क्षेत्र में मिस्त्र के प्रमुख शहर स्थित हैं। जैसे अलेक्सान्डिया ।

जिब्राल्टर जलसंधि :-

यह जलसंधि भूमध्य सागर को अटलांटिक महासागर से जोड़ती है ।यह अफ्रिका को यूरोप से अलग करती है ।यह मोरक्को को जिब्राल्टर से अलग करती है।

दक्षिण अफ्रीका के मैदान

सवाना घास के मैदान :-

यह घास के मैदान विश्वत रेखा के दोनों और पाए जाते हैं ।यह उष्णकटिबंधीय घास के मैदान है जिसमें ग्रीष्म एम शीत ऋतु का निर्माण होता है ।यहाँ लगभग 75 से 100 सेंटीमीटर वर्षा प्राप्त होती है ।सीमित वर्षा के कारण यहाँ लंबी ,मोटी तथा पोस्टीक घास का विकास होता है ।इस घास के मैदान में विश्व के सबसे बड़े स्थलीय जीव पाए जाते हैं। वन्यजीवों के कारण इस मैदान का उपयोग पूर्व काल में शिकार के लिए किया जाता था अतः इसे लैंड ऑफ बिग गेम भी कहा जाता था।

वेल्ड:-

यह दक्षिण अफ्रीका में स्थित शीतोष्ण घास के मैदान है ।इस घास के मैदान में लाल घास पाई जाती है ।यहां की मुख्य नदी वाॅल है ।इस घास के मैदान का उपयोग मुख्यतः पशुपालन के लिए किया जाता है।

दक्षिण अफ्रीका के मरुस्थल

सहारा मरुस्थल :-

यह विश्व का सबसे बड़ा गर्म मरुस्थल है ।यह एकमात्र ऐसा मरुस्थल है जो महाद्वीप के पश्चिमी से पूर्वी भाग तक विस्तृत है। यह मरुस्थल उत्तरी अफ्रीका के 11 देशों में विस्तृत है ।यह पथरीला मरुस्थल है अतः हमादा का उदाहरण है। इस मरुस्थल में लाल मृदा पाई जाती है। इस मरुस्थल में तूआरेग एवं बेदुईन जनजाति निवास करती है जो मुख्यतः क्षेत्र में पशुपालन करती है। यहां अल अजीजिया (लिबिया) में अत्यधिक उच्च तापमान अभीलेखित किया जाता है।

कालाहारी मरुस्थल :

यह मरुस्थल बोत्सवाना देश में स्थित है। यह रेतीला मरुस्थल है अर्ग का उदाहरण है। इस मरुस्थलीय क्षेत्र में बुशमैन जनजाति निवास करती है।

नामिब मरुस्थल:-

यह मरुस्थल में नामीबिया देश में स्थित है ।यह रेतीला मरुस्थल है जिसका निर्माण ठंडी बेंगुला धारा के कारण हुआ है। यह मरुस्थल यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में सम्मिलित है क्योंकि यहां कोहरे से ढके हुए बालूका का स्तूप पाए जाते हैं।

हार्न ऑफ अफ्रीका:-

सूडान, इरिट्रिया ,इथोपिया ,जिबूती और सोमालिया सहित अफ्रीका महाद्वीप के उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र में हॉर्न ऑफ अफ्रीका के रूप में जाना जाता है। देशों का समूह प्रायद्वीप के ऊपर एक सींग जैसा भूभाग बनाता है ।सोमाली प्रायद्वीप हार्न ऑफ अफ्रीका क्षेत्र का एक हिस्सा है। यह वाक्यांश आमतौर पर सोमालिया और पूर्वी इथोपिया के क्षेत्रों को संदर्भित करने के लिए उपयोग किया जाता है।

हॉर्न ऑफ अफ्रीका अरब सागर में सैकड़ों किलोमीटर की दूरी पर है जो अदन की खाड़ी के दक्षिण में स्थित है।

सिनाई प्रायद्वीप :-

1. यह प्रायद्वीप लाल सागर के उत्तर में स्थित है।

2.यह प्रायद्वीप एशिया तथा अफ्रीका को जोड़ता है।

3.यह मिस्र का भी भाग है।

स्वेज नहर

  1. इस नहर का निर्माण 1869 में हुआ था।
  2. यह नहर लाल सागर को भूमध्य सागर से जोड़ती है ।
  3. यह एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय जलमार्ग है ।
  4. यह नहर पोर्ट सईद को पोर्ट स्वेज से जोड़ती है।
  5. इस नहर का नियंत्रण मिश्र द्वारा किया जाता है।

पूर्वी अफ्रीकी भ्रंश घाटी

  1. यह भ्रंश घाटी अरब प्रायद्वीप तथा पूर्वी अफ्रीका में स्थित है।
  2. यह उत्तरी सीरिया से प्रारंभ होकर मृत सागर, लाल सागर से होते हुए पूर्वी अफ्रीका में मोजांबिक देश तक जाती है ।
  3. इस भ्रंश घाटी का निर्माण नूबियन तथा सोमाली प्लेट के अभिसरण से हुआ है ।
  4. यह विश्व की सबसे लंबी भ्रंश घाटी है जिसकी लंबाई 6000 किलोमीटर है ।
  5. इस भ्रंश घाटी के पास बहुत से ज्वालामुखी पर्वत स्थित है जैसे किलिमंजारो इत्यादि ।
  6. इस भ्रंश घाटी में बहुत सी झीले स्थित है ।जैसे टैंगनाइका, एल्बर्ट ,एडबर्ड ,तर्काना,न्यासा झील आदि।

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